आज सोचा कि…. कुछ तेरे सिवा सोचूँ ..!!! .अभी तक इसी सोच में हूँ कि क्या सोचूँ ..!!!  गया था मै तुझसे दुर बहुत कुछ पाने के लिए ……….पर सिवाए तेरी यादो के कुछ हासिल ना हुआ !!!!  जिनको साथ नहीं देना होता वो अक्सर रूठ जाया करते हैं  तेरी बेरुखी ने छीन ली है शरारतें मेरी..और लोग समझते हैं कि मैं सुधर गया हूँ..!!!  बेवफ़ाओं की महफ़िल लगेगी ,आज ज़रा वक़्त पर आना ” मेहमान-ए-ख़ास ”” हो तुम…  छोड़ दे तू मुझे गिला भी नहीं, मुझमे अब और कुछ बचा भी नहीं, उसने बस यूँ कहा … चले जाओ जल्दबाज़ी में, कि मैं रुका भी नहीं..  हमे खो दोगे तो पछताओगे बहुत, ये आखरी गलती जरा सोच समझकर करना…  नहीं मिलेगा तुझे कोई हम सा, जा इजाजत है ज़माना आजमा ले !!  काश ! के वो लोट आये मुझसे ये कहने , कि तुम कोन होते हो मुझसे बिछड़ने वाले !  कितनी आसानी से कह दिया तुमने,कि बस अब तुम मुझे भूल जाओ, साफ साफ लफ्जो मे कह दिया होता, कि बहुत जी लिये अब तुम मर जाओ.  एक उमर बीत चली है तुझे चाहते हुए, तू आज भी बेखबर है कल की तरह..   वो बड़े ताज्जुब से पूछ बैठा मेरे गम की वजह..फिर हल्का सा मुस्कराया, और कहा, मोहब्बत की थी ना…  जिनसे बेतह...
 
 
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